Shristi Hai Teri Kavita Gati Hai Sanna Teri Lyrics

 Shristi Hai Teri Kavita

सृष्टि है तेरी कविता 

गाती है सन्ना तेरी 

साड़ी धरा पर गूंजती है 

नित दिन महिमा तेरी 

1 .  झरने भी कल कल उठे ,  

करते है तेरी महिमा , 

पंछी भी गाते है , 

तू है कितना महान 

वन के सुमन भी है हँसते 

करते है जय जयकार 

2 .  नभ नीलिमा से तारे , 

धरती को करते उभारे 

सागर की चंचल मौजे 

देती है तेरी ही यादें 

ऊँचे शिखर भी है कहते 

करते है जय जयकार (2 ) 

3 .  दाऊद के गीतों में है 

तेरी प्रशंशा की धारा 

जन्नत में कहते फ़रिश्ते 

दाता है तू ही हमारा 

सृष्टि के हर एक कण में 

निखरा है तेरा प्यार (2 )  

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